भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कुड़मी समाज ने की मुलाक़ात, कूड़मी समाज को एसटी का दर्जा देने की रखी मांग

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भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कुड़मी समाज ने की मुलाक़ात, कूड़मी समाज को एसटी का दर्जा देने की रखी मांग

जेपी नड्डा ने इस गंभीर विषय को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के साथ चर्चा करने की बात कही

28 अक्टूबर शनिवार को रांची एयरपोर्ट सभागार में कुरमी/कुड़मी (महतो) समाज के संयोजक शीतल ओहदार के अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ कुरमी/ कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने एवं कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर गहन वार्ता की गई । वार्ता में जेपी नड्डा से कहा गया कि 23 नवंबर 2004 को अर्जुन मुंडा सरकार ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की ओर से छोटानागपुर की कुरमी/ कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने हेतु भारत सरकार को अनुशंसा कर चुकी है। अनुशंसा में यह जिक्र है कि 1913 एवं 1938 में कुरमी/कुड़मी अनुसूचित जनजाति की सूची में थी किंतु क्रमशः 1950 से 1952 की सूची में शामिल नहीं किया गया जिसका कोई कारण स्पष्ट नहीं है । अनुशंसा में झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि कुरमी/ कुड़मी जनजाति को पुनः अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाए। इस बात का जिक्र तत्कालीन महामहिम राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने 24 मार्च 2005 को अपनी अभिभाषण में कर चुके हैं। यह भी बताया गया कि झारखंड में टोटेमिक कुरमी /कुड़मी (महतो) जनजाति द्रविड़ नस्ल से हैं और एक निश्चित भुभाग में रहते हैं। इनके रीति-रिवाज ,सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक अनुष्ठान, रहन-सहन , पूजा-पासा आदि सशक्त जनजातियों की तरह ही है। इनकी भाषा कुड़माली है। यह भी बातें हुई कि सन 1891 में कुरमी/ कुड़मी जनजाति का एथनोग्राफिक रिपोर्ट मानवशास्त्री एच• एच• रिजले ने बनाया था, जिसका उल्लेख ट्राइब एंड कॉस्ट ऑफ बंगाल के सर्वे रिपोर्ट में प्रकाशित है। सन 1913 में भारत सरकार एवं सन 1931 में बिहार तथा उड़ीसा सरकार ने भी कुरमी/ कुड़मी जनजाति को ऐवोरिजिनल घोषित किया था। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी कई न्यायायिक निर्णय में छोटानागपुर के कुरमी /कुड़मी को ऐवोरिजिनल (आदिवासी) कहा है। मई 1990 में प्रकाशित झारखंड विषयक समिति की रिपोर्ट में भी कुरमी/ कुड़मी (महतो) जाति को गैर सरकारी आदिवासी माना है। जेपी नड्डा ने समाज की विभिन्न बातों को बारीकी से सुनते हुए मुख्य बिंदुओं को नोट कराया और इसे गृह मंत्रालय तथा कार्मिक विभाग को उचित कार्रवाई करने हेतु निर्देश देने का भरोसा दिया। वार्ता में हरमोहन महतो, सखीचंद महतो, दानिसिंह महतो, रामपोदो महतो ,सपन कुमार महतो, थानेश्वर महतो, क्षेत्रमोहन महतो, ओमप्रकाश महतो, हेमलाल महतो, नरेश महतो, भुषण चंद्र महतो,विशाल महतो आदि शामिल थे.

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